मैंने प्रथम श्रेणी से बी–एड– की परीक्षा उत्तीर्ण की । मैंने अपने कैरियर में सुधार लाने के लिए प्रमाणित कोर्स भी किए, अंग्रेजी बोलने का कोर्स किया, व्यक्तित्व में विकास लाने का कोर्स भी किया लेकिन कई स्कूलों में साक्षात्कार देने के बावजूद मुझे मेरे लिए उपयुक्त नौकरी नहीं मिल पाई थी । मैं अपने जीवन से निराश हो गई थी । ऐसा लग रहा था मानो मेरे जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है । मैं अपने आपको आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही थी लेकिन मुझे कामयाबी नहीं मिल पा रही थी । दूसरी ओर मेरे परिवार ने भी मेरी शादी के लिए मुझ पर दवाब बनाना शुरू कर दिया था । क्योंकि भारत में लड़कियों को माता–पिता पर बोझ समझा जाता है । पर जब पुण्य उदय आता है तो कर्मों की निर्जरा एक क्षण में हो जाती है । ऐसा ही शुभ अवसर मुझे मेरी मित्र के माध्यम से प्राप्त हुआ जब मैंने डॉ– प्रिया जी की वर्कशॉप Faith Based Healings By Bhaktamar में भाग लिया । यह वर्कशॉप अटेंड करने के बाद मेरे जीवन की निराशा आशा की चकाचैंध में बदल गई । मैं भक्तामर के बारे में जानती तो थी लेकिन उसकी शक्ति और महिमा से अनभिज्ञ थी । मुझे पता ही नहीं था, ऐसा अनमोल खजाना हमारे भक्तामर में छुपा हुआ है । डॉ– प्रिया जी के मार्गदर्शन से मैंने श्लोक रिद्धि मंत्र का जाप विधिपूर्वक किया, बिना नमक का भोजन किया, मुझे विश्वास था कि मुझे बहुत जल्द उत्कृष्ट नौकरी मिल जाएगी और कुछ ही दिनों में मेरा सपना साकार हुआ ।
2 महीने पश्चात् ही मुझे दिल्ली इंटरनेशनल स्कूल से एक प्रस्ताव मिला जिससे मेरे जीवन में एक नया सवेरा आ गया । मेरा परिवार भी आज मेरे ऊपर गर्व करता है । आज मैं जो भी हूँ डॉ– प्रिया जैन के विश्वास और भक्तामर से मिली शक्ति के कारण हूँ ।
जीवन में कई परिस्थितियाँ होती हैं जो नियंत्रण से बाहर होती हैं । कई बार हमारे प्रारब्ध कर्मों के उदय आने से कुछ चीजें हमसे बहुत दूर हो जाती हैं । ईश्वरीय शक्ति के आगे हम अपने आपको बड़ा असहाय महसूस करते हैं ।
एक दुर्घटना में हम अपने 1 बच्चे को खो चुके थे जिसका सदमा हमारे दिल और दिमाग पर गहरा छाया हुआ था । वक्त गुजरने के साथ हम थोड़े सहज हुए और मेरी पत्नी ने दोबारा गर्भधारण किया । इस बार भी कुछ अनहोनी हुई और हमें गर्भपात कराना पड़ा । हम जीवन के अत्यधिक मुश्किल दौर से गुजर रहे थे । एक वर्ष पश्चात् फिर हमने प्रयास किया । शेफाली ने गर्भधारण किया और फिर 4 महीने बाद वही गर्भपात । ऐसा लगने लगा कि हमारे भाग्य में संतान सुख है ही नहीं । हम जीवन से हार मान बैठे थे । पर जब संयोग और संजोग दोनों मिलते हैं तो कुछ भी संभव है । ऐसा ही संयोग अक्तूबर 2016 में मीडिया के माध्यम से प्रिया जी और प्रदीप जी से जुड़ने का मिला । प्रिया जी के मार्गदर्शन में हमने भक्तामर का पाठ विधान प्रारंभ किया और फिर से एक बार शेफाली ने गर्भधारण किया लेकिन इस बार खुशी नहीं डर ज्यादा था । इस डर से छुटकारा दिलाने में अगर कोई काम आया तो वो थीं प्रिया दी जो, हर समय अपनी सकारात्मक सोच के द्वारा हमें हिम्मत और हौंसला देती रहती थीं । उन्होेंने अपना रेकी उपचार मंत्र उपचार पूरे 9 महीने जारी रखा । इन 9 महीनों के दौरान हमने निरंतर भक्तामर पाठ और विधान जारी रखा और 18 जून 2017 को हमें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई हो तो सभी को अपने बच्चे प्रिय लगते हैं लेकिन जिस बच्चे के लिए पूरे एक वर्ष अराधना की हो, जिस बच्चे के साथ गर्भ में आने से पूर्व भक्तामर जैसी शक्तियाँ जुड़ गई हांे और जन्म के पश्चात् हमारे बच्चे का आभामंडल एक आलौकिक दिव्य पुरुष जैसा लगता है । उसका नाम हमने ‘अरहम’ रखा है । मैं सभी से कहना चाहता हूँ कि भक्तामर की शक्ति के आगे दुनिया का हर कार्य छोटा लगता है ।
मन वचन काय से विश्वास और श्रद्धापूर्वक इस स्तोत्र का पाठ किया जाए तो सब कुछ संभव है ।
मैं सेजल कोठारी महाराष्ट्र के एक छोटे–से शहर जामनेर में रहती हूँ । मैं सुखपूर्वक अपने सामूहिक परिवार के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रही थी । इसी बीच मेरे असाता वेदनीय कर्म का उदय आया और मुझे भयंकर रोग, जिसे कैंसर के नाम से जानते हैं, हो गया । सही कहा है कर्म ने किसी को भी नहीं छोड़ा । अशुभ कर्मोदय से दु%ख और शुभ कर्मों से सुख मिलता है । कर्मों की गति सचमुच की न्यारी है । ये कर्म ही तो हैं जो कभी हँसाते हैं, कभी रुलाते हैं । आचार्य मानतुंग स्वामी रचित महामृत्युंजय भक्तामर स्तोत्र से मेरे अशुभ कर्मों का क्षय हुआ । मुझे तो यह पता भी नहीं था कि भक्तामर स्तोत्र में इतनी शक्ति है लेकिन डॉ– प्रिया जी के मार्गदर्शन, उनकी प्रेरणा से मैंने भक्तामर के 45वें श्लोक का पाठ प्रारंभ किया । इसी मध्य प्रिया जी और प्रदीप जी मुझे निरंतर Distance Healing और Mantra Healing के माध्यम से उपचार देते रहे । समय–समय पर प्रिया दीदी ने मुझे ज्योतिष के कुछ उपाय बताये । और मेरे अंदर दान धर्म की भावना पैदा की जिसके परिणामस्वरूप आज 18 महीने बाद मैं बिना सर्जरी, बिना कीमो से पूर्णरूप स्वस्थ हूँ । यही है भक्तामर की महिमा ।
आस्था और भक्तामर की महिमा
कर्मों की गति किसको क्या खेल खिलाए,
किसको हँसाए–––किसको रुलाएँ,
कौन जाने ?
5 अक्टूबर 2016 मेरे लिए अविस्मरणीय दिन है क्योंकि इसी दिन मेरी मुलाकात श्रीमती संतोष जी से हुई । जो कि 50 साल की उम्र में कैंसर से जूझ रही थीं । घटना कुछ यों हुई कि शाम को 7 बजे मेरे पास एक फोन आया । मैं Healing Sessions में व्यस्त होने के कारण फोन नहीं उठा पायी । थोड़ी देर बाद उनका दुबारा फोन आया । फोन पर एक महिला जोर–जोर से रो रही थी और उन्होंने मुझसे आग्रह किया कि मैं इमरजेंसी में उनकी माँ से मिलूँ । वे उस समय बालाजी एक्शन कैंसर अस्पताल, नई दिल्ली में भर्ती थीं । मैं रात 10 बजे वहाँ पहुँची । वहाँ जाकर मुझे पता चला कि कैंसर के साथ उनको पेट में इन्फेक्शन भी था जिसके कारण वे पिछले एक सप्ताह से बेसुध पड़ी हुई थीं और किसी तरह की हरकत नहीं कर रही थीं । बहुत–से डॉक्टरों को दिखाया पर बचने के कुछ भी आसार दिखाई नहीं पड़ रहे थे । सभी डॉक्टर हाथ खड़े कर चुके थे और परिवार जनों को सलाह दे रहे थे कि उन्हें इन आखिरी क्षणों में घर ले जाएँ । पर ईश्वर को शायद कुछ और ही मंजूर था । उस रात ICU में उनके पास बैठे हुए मैंने भक्तामर स्तोत्र के प्रथम व 45वें श्लोक का 2 घंटे तक मंत्रोच्चारण किया । और उनके परिवार को भी जाप करने के लिए कहा । अगले दिन उनके परिजन उन्हें छुट्टी दिलाकर घर ले गए । रोजमर्रा की तरह मैं अपने कार्यों में व्यस्त थी कि तभी दोपहर 12 बजे मुझे उनकी बेटी का फोन आया । उन्होंने बताया कि मम्मी को होश आ गया है । मम्मी प्रतिक्रिया कर रही हैं और उन्होंने कुछ खाने को भी माँगा । यह सिर्फ मेरे लिए ही नहीं, अपितु उनके परिवारजनों के लिए भी वह बात बहुत आश्चर्यजनक थी । लेकिन भक्तामर की शक्ति के आगे असंभव को संभव किया जा सकता है । आगे के दिनों में उनकी सेहत में कुछ और सुधार आया वो अच्छे से बातचीत करने लगी और लगभग 50 दिनों तक अपने परिवारजनों के साथ स्वस्थ रहकर समाधिपूर्वक अपने प्राणों का त्याग किया । ये ही है भक्तामर की महिमा । कर्मों की गति किसको क्या खेल खिलाए, किसको हँसाए–––किसको रुलाए, कौन जाने ?
मैं अंकित कोठारी अपनी पत्नी रीता कोठारी और मेरे बेटे खुश कोठारी की तरफ से लिख रहा हूँ । मेरी पत्नी एक वर्ष से अधिक समय से मुँह की सूजन से पीड़ित थी और उनकी आवाज सूजन के कारण अच्छी नहीं थी । मैं यूट्यूब पर डॉ. प्रिया जैन व डॉ. मंजू जैन को Follow (पालन) करता था और सौभाग्य से प्रदीप भइया के कारण मुझे प्रिया दी और मंजू दीदी से मुंबई में 1 जून 2017 को मिलने का मौका मिला । उन्होेंने हमें सलाह दी कि श्री भक्तामर के 45वें श्लोक के साथ रिद्धि और मंत्र के साथ 21 दिनों के नमक के बिना उपवास करें और मेरी पत्नी ने दीदी के कहे अनुसार विधिपूर्वक भक्तामर का पाठ आरंभ किया । प्रिया दी ने हमें अपना बहुमूल्य समय दिया और हमने मुंबई जैन मंदिर में भी भक्तामर का विधान किया । 21 दिनों के अंतर्गत मेरी पत्नी और उसकी आवाज में 50 से 60 प्रतिशत लाभ मिले । डॉ. प्रिया जी के मार्गदर्शन और समर्थन से हमारा आत्मविश्वास बढ़ा ।
इसके अलावा मैं आपको यह भी बताना चाहता हूँ कि मेरे बेटे को बहुत समय से आँखों की एलर्जी थी व उसकी आँखें कमजोर हो गई और उसे 2–5 नम्बर का चश्मा लग गया । मैंने श्री प्रदीप जैन और डॉ. प्रिया जैन को फोन करके बताया तो उन्होंने भक्तामर के 5वें श्लोक को रिद्धि और मंत्र के साथ 9 बार जप करने की सलाह दी और उसी दिन हम डॉक्टर के पास गए और वे आश्चर्यचकित हुए और कहा कि आपके बेटे को थोड़ी–सी एलर्जी है और यह जल्द ठीक हो जाएगा । शाम तक उसकी आँखें एकदम ठीक हो गयीं । इस चमत्कार को मेरे जीवन में लाने का श्रेय डॉ. प्रिया जैन और श्री प्रदीप जैन को मार्गदर्शन देने के लिए देता हूँ और मेरी सभी समस्याओं का समाधान देने के लिए श्री भक्तामर जी को नमस्कार करता हूँ ।
मैं अवनी कौशिक पेशे से इंजीनियर हूँ और गोवा में अनुसंधान केन्द्र के लिए योजनाओं की तैयारी में सहायता करती हूँ । पिछले वर्ष 2016 में गोवा में कंपनी की तरफ से मुझे घर मिला पर उसमें मुझे नकारात्मक ऊर्जा का आभास होने लगा । मेरा स्वास्थ्य खराब रहने लगा, मेरे व्यवहार में परिवर्तन होने लगा और कार्य करने की क्षमता कम हो गई । डॉक्टर से जाँच के बाद मुझे पता लगा कि मुझे Breast Cancer है । मैं जिन्दगी से हार मान बैठी थी । मैं डॉक्टर की सहायता के साथ–साथ अध्यात्मिक उपचारों की भी खोज कर रही थी । तभी मुझे इंटरनेट के माध्यम से डॉ. प्रिया जैन की उपचार पद्धति के बारे में पता चला कि वो भक्तामर के मंत्रों के माध्यम से अध्यात्मिक उपचार करती हैं जो कि एक Drugless Therapy है । तब मैंने उनसे संपर्क किया और उन्होंने मेरे घर की Vaastu Visit की मेरे घर के दोषों को दूर किया, घर में एक नई सकारात्मक ऊर्जा का द्वार खोला और साथ में मेरी Distance Healing प्रारंभ की और मैंने भी भक्तामर की 17वें और 45वें श्लोक की भक्तिपूर्वक और विधिपूर्वक जाप की, जिसके परिणामस्वरूप मेरे कैंसर की गाँठ 6 महीने में ही 8mm से 2mm की रह गई । मैं डॉ. प्रिया जी के बताये गये मार्ग पर चलकर दूसरों के मार्ग को प्रकाशित करना चाहती हूँ जिससे ज्यादा–से–ज्यादा लोग भक्तामर का श्रद्धान करें । जैसा स्वास्थ्य लाभ मुझे मिला, वैसा सभी जीवों को मिले ।
मैं एक रियल एस्टेट व्यवसायी हूँ । ईश्वर की कृपा से मेरा कारोबार बड़ा अच्छा चल रहा था । विगत 2–3 वर्षों से रियल एस्टेट में आई मंदी के कारण मेरे पास प्रोपर्टी का एक बहुत बड़ा हिस्सा बिकने से रह गया । मुझे फंड्स की बहुत ज्यादा तंगी हो गई । मैं लोगों की पेमेंट नहीं कर पा रहा था । इसी बीच मेरी बेटी का रिश्ता हो गया और मुझे पैसों की चिंता और सताने लगी । मुझे उम्मीद की कोई किरण दिखाई नहीं दे रही थी क्योंकि बाजार दिन–प्रतिदिन नीचे गिरता जा रहा था । मार्किट में कोई खरीदार नहीं था । मेरी पत्नी जो प्रदीप जी और प्रिया जी को जानती थी, उनके पास चलने को कई बार कहा । पर मैं किसी–न–किसी कारण से उनको मना कर देता । लेकिन मरता क्या ना करता । मुझे और कोई चारा नहीं दिखाई दिया और मैं बेमन से उनके पास चला गया । वहाँ जाकर मेरी आँखें खुलीं, मेरा भ्रम टूटा और उन्होंने मुझे जैन धर्म के हिसाब से भक्तामर स्तोत्र का पाठ करने को दिया । मैंने 1, 28 व 48 न. श्लोकों का पाठ किया । और लगभग डेढ़ महीने बाद मुझे एक बड़ा खरीददार प्रॉपर्टी का मिला । प्रिया जी ने इसमें भी मुझे मार्गदर्शन दिया और मुझे पॉजिटिव किया । और मैं बड़ी शालीनता से उस सौदे को सफल कर पाया । वह सौदा मेरी जिन्दगी की सबसे बड़ी डील थी जिसके कारण मेरा डूबता व्यापार वापस पटरी पे आ गया । मैं लोगों से कहना चाहूँगा कि जब भी जीवन मेें विपरीत परिस्थिति आए तो परमात्मा की भक्ति मेें लीन हो जाओ, उनके प्रति प्रेम से भर जाओ । आपको आपकी जिन्दगी में चाहे थोड़ी देर लगे पर सुखों का सवेरा अवश्य होगा ।
जिन्दगी में अक्सर कई बार परिस्थितियाँ जैसी हम चाहते हैं वैसी नहीं होतीं । सब कुछ प्रतिकूल होता है । ऐसी परिस्थितियों में अध्यात्मिक शक्तियाँ एवं हमारा विश्वास हमारे काम आता है । इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि समस्या आर्थिक है, मानसिक है या धन संबंधी है । मैं समर्थ अग्रवाल, 12वीं कक्षा का विद्यार्थी था और मैं IIT की तैयारी कर रहा था । मैं अपने अध्ययन में लगन से मेहनत कर रहा था । इसमें मेरे माता–पिता और मेरे शिक्षकों का भी भरपूर सहयोग मिलता था लेकिन छात्र जीवन में सबसे बड़ी जो समस्या होती है वह शैक्षणिक तनाव की होती है । मैं और मेरे माता–पिता दोनों इस परिस्थिति से जूझ रहे थे और मेरे ऊपर भी 12वीं में अच्छे अंक लाना और JEE में अच्छी रैंक लाने का दवाब था । यह सिर्फ दवाब ही नहीं था, मेरे जीवन का सबसे बड़ा सपना था, जेईई टॉप कर दिल्ली IIT में प्रवेश पाना । बहुत मेहनत के बाद भी मैं अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहा था । और मैं बार–बार अपने ग्रुप में पीछे होता जा रहा था । इसी मध्य मेरे माता–पिता की मुलाकात भक्तामर क्लीनिक वाली डॉ. प्रिया दी और प्रदीप सर से हुई । उन्होंने सकारात्मक ऊर्जाओं और पवित्र भक्तमार स्तोत्र का उपचार मुझे देना प्रारंभ किया । दीदी और सर लगातार मुझे दूरस्थ उपचार के माध्यम से मुझे हील करते रहे । और मैंने भी भक्तामर के 6ठे श्लोक का पाठ पूरी श्रद्धा भक्ति से किया । जब भी समय मिलता मैं भक्तामर क्लीनिक पर विधान करने जाता था । प्रिया दी और सर के सहयोग से मुझे बार–बार सकारात्मक ऊर्जा मिलती रहती थी । और मैंने 12वीं और IIT की परीक्षा सफलतापूर्वक दी ।
अब समय था परिणाम आने का । मेरे 12वीं में 94.45 प्रतिशत अंक आए और IIT में मेरी AIR 181 रैंक आई । यह मेरे लिए और मेरे परिवार के लिए किसी महान् चमत्कार से कम नहीं था । परन्तु इसके बाद मुझे दु:ख हुआ जब मुझे पता चला कि दिल्ली IIT का 10 वर्ष का रिकॉर्ड टॉप 150 रैंक है । मैंने फिर भी हिम्मत नहीं हारी और निरंतर भक्तामर का पाठ करता रहा । अब शायद मेरे भाग्य ने मेरी परीक्षा ली । और दिल्ली IIT की पहली सूची 178 रैंक तक जारी हुई । यही वो समय था जब मैं टूट चुका था और मेरे पापा ने IIT कानपुर में मेरे एडमिशन और फीस की तैयारी कर ली पर मेरा सपना दिल्ली IIT में जाने का था । मुझे मेरा सपना मुझसे दूर जाता हुआ दिख रहा था । एक बार फिर हम सबने पूरे श्रद्धा और मनोयोग से भक्तामर क्लीनिक पर भक्तामर विधान किया और ये रहा संसार का महानतम आश्चर्य... मैं नहीं जानता ये कैसे हुआ पर जो हुआ मेरा सपना पूरा हुआ और दिल्ली IIT में 3 बच्चों का रजिस्ट्रेशन रद्ध हुआ और मुझे दिल्ली IIT में प्रवेश मिल गया ।
आभार अभिव्यक्ति- बोर्ड परीक्षा और IIT में मेरी सफलता का श्रेय अगर किसी को जाता है तो है प्रिया दी जिन्होंने मुझे भक्तामर पढ़ने की प्रेरणा दी और मेरे सपने को नई उड़ान दी । आज मैं जो कुछ भी हूँ उन्हीं की वजह से हूँ ।
मैं सुषमा शाह दुबई में रहती हूँ । मेरी शादी को 17 वर्ष हो गए । डॉक्टरों के अनुसार मैं बच्चे को जन्म देने में असमर्थ थी । मैंने लंदन और भारत में सबसे अच्छा इलाज लिया लेकिन सब व्यर्थ गया । अंत में मैंने मदद के लिए डॉ. प्रिया जैन को जनवरी 2013 में संपर्क किया । उन्होंने मेरा दूरस्थ उपचार प्रारंभ किया । भक्तामर के 20वें नं. श्लोक के चमत्कार व प्रिया जी द्वारा पैदा किए मेरे अंदर अचूक विश्वास की शक्ति से मैंने गर्भधारण किया । और 9 महीने पश्चात् मैंने एक स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया ।
मैं भक्तामर स्तोत्र को दिल से आभार व्यक्त करती हूँ और आप सबको भी यही संदेश देती हूँ जिसने मेरे जीवन के अंधकार को दूर किया और मेरे जीवन जीने का उद्देश्य पैदा किया । आप सब भी भक्तामर को अपने जीवन में भक्तिपूर्वक अपनाएँ और अपने आने वाले कल को बेहतर बनाएं ।
मैं दिल्ली के करोल बाग में पिछले 12 सालों से आभूषण व्यवसाय में हूँ । मेरे पूर्वजों पिछले कई सालों से इस व्यवसाय को संभाल रहे थे । मैंने इसे जारी रखा और बागडोर अपने हाथों में ली । शुरुआत के 3 साल तो यह बहुत अच्छा चला परन्तु उसके बाद 7 वर्षों से यह घटता चला गया । मेरे इतने नुकसान हो गये थे और मेरा व्यापार लगभग बंद होने की कगार पर था जिससे मैंने अपनी सारी आशाएं रख दी थीं । तभी एक दिन मेरे करीबी दोस्त ने, जो मुझे मेरे बचपन से जानता है, डॉ. प्रिया जैन के बारे में जिक्र किया एक हफ्ते बाद मैंने उनसे उनकी जगह पर मुलाकात की और अपनी समस्या जताई । फिर उन्होंने मुझे सुझाव दिया कि मैं भक्तामर स्तोत्र और विशेष रूप से 36वें श्लोक का जाप करने को कहा । मैंने इसे एक चुनौती के रूप में ले लिया और 21 दिन के लिए बिना नमक का भोजन कर भक्तामर का पाठ प्रारंभ किया । धीरे–धीरे मुझे मेरे कारोबार में बदलाव महसूस हुआ । मेरी बिक्री बढ़ गई और मेरे पास ग्राहकों की डिमांड आने लगी । मेरे सभी कर्जे एक महीने के अंतर्गत खत्म हुए और मुझे लाभ उत्पन्न हुआ । डॉ. प्रिया जी की मदद से मेरे जीवन में आशा की किरण से नया सवेरा हुआ जिसके लिए मैं उनका बहुत आभारी हूँ और भक्तामर जी को अपनी दिनचर्या का अहम हिस्सा बनाकर मंत्रोच्चारण करता हूँ ।
मेरे 26 साल के वैवाहिक संबंधों पर अंधेरा छा गया जब मेरे पति संजय जी का व्यापार घाटे में चला गया । उसका पूरा असर मेरे वैवाहिक जीवन को भी प्रभावित करने लगा । मेरे पति दिन–रात मुझसे झगड़ा करने लगे, जिसका असर मेरे बच्चे पर भी आने लगा । दिन रात मेरे घर पर लेनदारों का आना–जाना रहने लगा । हमारी जिन्दगी नरक से भी बदतर हो गई थी । तभी मेरे नजदीकी रिश्तेदार ने डॉ. प्रिया जी से मेरा संपर्क कराया । फिर मैंने उनसे अपनी समस्याओं का बखान किया । दीदी ने मुझे 12वें व 48वें श्लोक की जाप बताई । और मैंने भक्तामर के जप को मनोयोग से पूर्ण किया जिसके परिणामस्वरूप मेरे जीवन में परिवर्तन आने लगा । साथ ही उन्होंने मेरे घर की और फैक्ट्री की Vaastu Visit करके घर के दोषों में सुधार कराया । कुछ ही दिनों में मेरे गृहस्थ जीवन और व्यापार में सुख, समृद्धि और शांति की लहर वापस आ गई । यह सब डॉ. प्रिया जैन द्वारा बताए गए भक्तामर स्तोत्र की असीम कृपा से ही संभव हुआ ।
मेरे बचपन की दोस्त रमनिका ने कुछ समय पहले एक अनिवासी भारतीय से विवाह किया लेकिन उनकी शादी सफल नहीं रही । उसका पति उसे नापसंद करने लगा, वह इतना क्रूर हो गया कि हर छोटी बात पर आपस में झगड़ा करने लगा । साथ ही उसने फिर से शादी करने की योजनाओं के बारे में भी नहीं बताया । वह इतनी परेशान रहने लगी कि इन बातों का असर उसके दिमाग के साथ आँखों पर भी होने लगा, वह ठीक से देख नहीं पाती थी । तब मैंने उसे प्रिया जी के Faith Based Healing सेमिनार को अटेंड करने की सलाह दी । वे उनसे मिली व भक्तामर और रेकी के माध्यम से Distance Healing प्रारंभ की । प्रिया जी ने उसे 3, 5, 12 वां न. श्लोक का पाठ करने को कहा रमनिका ने अपनी डूबते जीवन को भगवान आदिनाथ पर विश्वास कर फिर से ऊपर उठाने का निर्णय लिया व 21 दिन विधिपूर्वक भक्तामर विधान किया । एक महीने बाद उसके पति को अपनी गलती का एहसास हुआ व माफी माँगी और अब वे दोनों एक साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं । उसने मुझे बुलाया और अपने मन की खुशी मेेरे समक्ष प्रकट करी कि किस तरह प्रिया जी के भक्तामर के कारण उसके डूबते जीवन को भगवान आदिनाथ का सहारा मिला और अब वो नियमित रूप से विधान करती है जिससे उसकी आँखें भी ठीक हैं । वाकई में प्रिया जी एक अद्भुत महिला हैं जिनका भक्तामर के प्रति रुझान देखकर मुझे उन पर गर्व होता है ।
मैंने बचपन से अपने जीवन में बहुत–से उतार–चढ़ाव देखे । जैसे–जैसे बड़ा हुआ, 20 वर्ष का होते ही व्यवसाय करने लगा, लेकिन सफलता नहीं मिली । धीरे–धीरे वक्त निकलता गया, मैं अपने जीवन से बहुत परेशान, हताश और चिन्ता मुझे रहने लगा । तभी मैं प्रिया जी की भक्तामर कार्यशाला में जाने का मौका प्राप्त हुआ । ऐसी कार्यशाला मैने अपने जीवन काल में कभी भी नहीं देखी थी । प्रिया जी की इस कार्यशाला के द्वारा मुझे अपने जीवन को लेकर एक नई राह नजर आने लगी । उसके बाद मैं उनसे कार्यस्थल पर जाकर मिला, मैंने प्रिया जी को अपने घर और कार्यस्थल पर बुलाया । उन्होंने वास्तु दोष का निवारण करके और भक्तामर पाठ एवं विधान के द्वारा मेरे जीवन में नई ऊर्जा और इस स्फूर्ति का संचार किया जीवन के प्रति मेरे मन में विश्वास पैदा किया । तब से लेकर आज तक मेरे जीवन की दशा बदल गई और मुझे व्यापार में उन्नति देखने का अवसर प्राप्त हुआ । मैं प्रतिदिन भक्तामर स्तोत्र और हृदय से प्रिया जी का अभारी हूँ, जिन्होंने मुझे कठिन परिस्थितियों में सही राह पर चलने की प्रेरणा शक्ति और विश्वास पैदा किया ।
प्रिया जी से मैंने घर व कार्यस्थल के लिए कुछ यंत्र व पेंटिंग प्राप्त की, जिन्हें अपने घर व कार्यस्थल पर लगाने से पूर्ण रूप से सफलता प्राप्त हुई ।
मैं और मेरा पूरा परिवार प्रिया जी के लिए यही प्रार्थना करते हैं कि प्रिया जी को शक्ति व ऊर्जा हमेशा प्राप्त हो ओर हर कठिनाइयों के वक्त परेशान व्यक्तियों को सलाह व उपचार प्रदान करती रहें और प्रिया जी अपने मंजिलों की ऊँचाइयों को प्राप्त करती रहें ।
कहते हैं विश्वास में बहुत शक्ति होती है । मैं जानती हूँ, मानती हूँ ऐसा ही एक सपना मेरे माता–पिता ने भी देखा था कि मैं CA बनूँ पर जल्दी शादी होने के कारण मेरी पढ़ाई बीच में ही रह गई और मैं अपना सपना पूरा नहीं कर पाई । हमारी शादी को 3 साल हो गए थे । परन्तु बदकिस्मती संयोग से न तो मैं गर्भ धारण कर पाई और न ही अपना CA बनने का सपना पूरा कर पाई ।
इसी मध्य मैं इंटरनेट पर बहुत सारी चीज़ें देखती रहती थी । मुझे Spritual Healing, Mind Power से जुड़ने का बहुत शौक था । हालाँकि मैंने कभी कोई कोर्स नहीं किया पर मैं मानती थी, ये जानती थी कि इंसान करना चाहे तो कुछ भी कर सकता है । इसी खोज में मुझे एक दिन डॉ. प्रिया जैन का नम्बर मिला । उन्होंने मेरी फोन पर ही 80 प्रतिशत चिंता दूर कर दी- ऐसा लगने लगा जो मैं मुर्दा हो चुकी थी, मैं उम्मीद खो चुकी थी । लेकिन उन्होंने मेरी प्यास मेरी उम्मीद को जिंदा किया व मेरा आत्मविश्वास जगाया और मेरे सपने को साकार कर दिया ।
सबसे पहले मेरा सपना मेरा कैरियर बनाने का था । मैंने अपनी पढ़ाई दुबारा से शुरू करी । परीक्षा दी और 7 महीने के लम्बे प्रयास के बाद मुझे मेरी परीक्षा में सफलता मिली जो कि मैं पिछले 3 वर्ष से नहीं कर पा रही थी । इसी बीच हमारे संबंध अच्छे हुए और मैंने Conceive किया । मेरे साथ फिर दुविधा खड़ी हो गई कि अब मैं नौकरी करूँ या बच्चे को जन्म दूँ । प्रिया जी ने फिर समझाया कि दोनों अपनी जिम्मेदारियाँ हैं और जो बच्चा तुम्हारे गर्भ में आया है, वो कोई पूर्व जन्म के संस्कारों से आया है, जिसका पुण्य प्रताप मेरे जीवन में अब फलित हुआ है । तभी उसके आने से पहले तुम CA बन गई । हम जानते भी है, कि जब तीर्थंकर बालक गर्भ में आता है तो जन्म से 6 माह पूर्व व जन्म लेने से 9 माह पूर्व कुल 15 माह तक 56 करोड़ रत्नों की वर्षा इंद्र देव माँ के आँगन में करते हैं । शायद मुझे ऐसे लगा कि जो जीव मेरे गर्भ में आ रहा है, उसके कारण ही मैं CA बन पाई व अपना सपना पूरा कर पाई । प्रिया जी के निर्देशानुसार मैंने भक्तामर स्तोत्र का 1st, 6th और 20th नं. श्लोक का पाठ विधिपूर्वक करती रही और उनकी हीलिंग और भक्तामर जाप करने से मुझे स्वस्थ पुत्री की प्राप्ति हुई । मैं प्रिया जी का, भक्तामर पाठ का, भगवान आदिनाथ का धन्यवाद अदा करती हूँ और आभार व्यक्त करती हूँ ।
जैसा मैंने पहले कहा कि इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है । कोई मार्ग दिखाने वाला हो, साथ देने वाला हो, तो पंख हर किसी के पास है, उड़ने की क्षमता पैदा करने वाला कोई होना चाहिए ।
मैं संजीव मेहता, रोहिणी का रहने वाला हूँ । मैं पिछले 10 वर्षों से अपने मित्र के साथ साझेदारी व्यवसाय में था । शुरू में मैं आर्थिक रूप से सुदृढ़ था । हम दोनों ने बराबर पंजी के साथ व्यवसाय प्रारंभ किया । हमारा व्यवसाय बहुत अच्छा चल रहा था लेकिन पिछले वर्ष मैंने अपने साझेदार के व्यवहार में अचानक बदलाव देखा । उसने मुझसे चीजों को अचानक छुपाना शुरू कर दिया । और बैंक खाते से भी बड़ी राशि निकाल कर इस्तेमाल करने लगा । मैं अपने मित्र पर पूर्णतः विश्वास करता था । मैंने उससे कई बार पूछने की कोशिश भी की कि यदि कोई समस्या हो तो वो मुझे बताए पर वह हमेशा मुझे टाल देता था । लेकिन एक दिन मुझे यह पता चला कि वो जुआ, सट्टा व अन्य गलत आदतों में शामिल हो गया है व उसके ऊपर काफी कर्जा भी हो गया था । जब मैंने उससे जानना चाहा तो उसने मुझे रूखा–सा जवाब दिया । मैंने साझेदारी फर्म की निकली हुई राशि वापिस जमा कराने के लिए कहा तो उसने मुझे साफ इनकार कर दिया यह कहते हुए कि मेरे पास पैसे नहीं हैं । तब मुझे यह अनुभव हुआ कि मैं इस विश्वासघात का शिकार हो गया हूँ । इस कटु अनुभव ने मेरे हृदय को बहुत तकलीफ दी । अब मुझे लगा कि इस दुनिया में दोस्ती, भलाई और विश्वास नाम की कोई चीज नहीं है । जो मेरे जैसे लोग “इस दुनिया में दूसरों का भला करते हैं वे मूर्ख होते हैं ।” पर कहते हैं जब दुनिया में सारे मार्ग बंद हो जाते हैं तब एक मार्ग है जो हमेशा खुला रहता है । वह है धर्म मार्ग और ऐसा ही एक मार्ग मुझे अनंत वर्ल्ड द्वारा प्राप्त हुआ । मैंने प्रदीप जी और डॉ– प्रिया जी से अपनी समस्या का समाधान माँगा जिन्होंने शुद्ध सम्यक् तरीके से धर्म का मार्ग सुझाया । और उन्होंने मुझे 21 दिन का भक्तामर पाठ का नियम दिया और उन्होंने Reiki, Distance Healing और भक्तामर के माध्यम से हम दोनों के संबंधों को मधुर किया और 17वें दिन ही मेरे साझेदार को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने मेरे पैसे वापस लौटाकर अपने आप में सुधार लाने का संकल्प लिया ।
ये थी भक्तामर की महिमा जिसने मुझे निराशा से आशा की तरफ आगे बढ़ाया ।
मानव मन की हमेशा से यह इच्छा रही है कि अपने सपनों के घर का निर्माण करना । ऐसा ही एक सपना मैंने भी देखा था । लेकिन उस सपने को साकार करने के लिए मुझे किसी की जरूरत थी । तभी मुझे मेरे दोस्त ने एक वास्तु के सेमिनार मार्ग में डॉ. प्रिया जैन से परिचय कराया और मुझे उनकी उपलब्धियों से अवगत कराया । मैं उनके अनंत वर्ल्ड, जो रोहिणी, दिल्ली में स्थित है, वहाँ गया और अपना सपना उनके समक्ष प्रस्तुत किया । उन्होंने मेरे घर की Vaastu Visit की और अपनी ज्योतिष विद्या के माध्यम से मेरी कुण्डली का अध्ययन करके मुझे मार्गदर्शन दिया । सबसे बड़ी बात तो ये थी जो मेरे जीवन का अद्भुत अनुभव रहा कि भक्तामर जैसे पवित्र स्तोत्र का उपयोग ज्योतिष और वास्तु के उपायों में जितनी सरलता से प्रिया जी ने किया और जिसका परिणाम मेरे व्यवसाय जीवन और मेरी आर्थिक स्थिति पर एक जादू की तरह हुआ जिसके कारण मुझे मेरे सपनों का घर मिला । आज मेरे पास एक विशाल घर, दुकान, सुख समृद्धि है । मैं डॉ. प्रिया और प्रदीप जी का बहुत आभारी हूँ जिन्होंने मुझे मेरे सपनों की सही राह पे चलने के लिए प्रोत्साहित किया ।
पिछले 5 वर्षों से मेरा व्यवसाय अच्छा नहीं चल रहा था । कई रिश्तेदारों और दोस्तों से परामर्श करने के बाद मुझे अपने व्यवसाय का कारण नहीं मिल पा रहा था जिसके कारण मेरे जीवन में कठिनाइयाँ बढ़ती जा रही थीं । मेरी मुँह बोली बहन, जो दिल्ली में रहती है उसने मुझे अध्यात्मिक उपचारक व वास्तु सलाहकार प्रिया जैन के बारे में बताया । मैंने उनसे संपर्क किया और अपनी समस्या पर विचार–विमर्श किया । डॉ. साहब ने मुझे मेरे व्यवसाय परिसर में 21 दिन के लिए भक्तामर विधान करने और भक्तामर के 48वें श्लोक का पाठ करने की सलाह दी । धीरे–धीरे मुझे मेरे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा महसूस होने लगी । मेरे सभी विवाद मेरे श्रमिकओं के साथ हल होने लगे । मैं अपनी आर्थिक और मानसिक समस्याओं से मुक्त होने लगा । जो लोग पहले मेरे चेहरे को देखना नहीं चाहते थे, अब वो मुझे पसंद करने लगे । उनका व्यवहार मेरे प्रति बदल गया ।
यह सब डॉ. प्रिया जी के मार्गदर्शन से हुआ । उनके विश्वास अथवा भक्तामर ने मेरे जीवन में एक बड़ा परिवर्तन किया । मुझे जीवन जीने की एक नई प्रेरणा दी । मैं डॉ. प्रिया जी को सलामी देता हूँ कि वह मेरे आने वाले कल के लिए मुझे हमेशा मार्गदर्शन करती रहें । जिनके कारण मुझे भक्तामर जैसे मार्गदर्शन से जुड़ने की सीख मिली ।
यह उक्ति तब चरितार्थ हुई जब मेरी कामवाली बाई का बच्चा 6 दिनों के बाद वापस लौट आया । घटना कुछ इस प्रकार हुई कि एक दिन मेरी कामवाली काम पर नहीं आई जबकि वो कभी छुट्टी करती नहीं थी । फिर भी हमने उससे संपर्क स्थापित करने की कोशिश की पर संपर्क नहीं हो पाया । इसी तरह 5 दिन निकल गये । हम परेशान हो गए और 5वें दिन ढूँढ़ते हुए उसके घर पहुँच गए । वहाँ जाने पर पता चला कि उसका 10 वर्ष का बच्चा जो मंदबुद्धि था और बोल नहीं पाता था व विचार व्यक्त न कर पाता था, 5 दिनों से लापता हो गया था । वो सब लोग बहुत परेशान थे । उन्होंने हमसे कुछ सहायता करने की बात कही । और हमने उल्टा भक्तामर का पाठ प्रारंभ किया और दूसरे दिन लगभग 11 बजे उनके माता–पिता के पास फोन आता है कि ‘एक बच्चा सैक्टर–16 अनाथ आश्रम में मिला है जो बोल नहीं सकता है, आप आकर पहचान कर लें ।’ रहस्यमय बात यह थी कि जिस रोहिणी सैक्टर–16 अनाथ आश्रम की वो बात कर रहे थे, वह उनके घर से लगभग 10KM की दूरी पर था । जो बच्चा बोल नहीं सकता जो कुछ बता नहीं सकता वो बच्चा 10KM दूर कैसे पहुँच गया और 5 दिनों तक वो बच्चा कहाँ रहा । ये आज तक रहस्य ही है । यह सब भक्तामर स्तोत्र की महिमा और प्रभु आदिनाथ की कृपा ही थी कि सिर्फ एक दिन के भक्तामर के पाठ से उनका बच्चा उनके घर वापस आया ।
Recovery of Kidney Shrinkage problem through Bhaktamar Mandiva Healing
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Dr. Shugan jain He appreciated and congratulated Dr. Prriya Pradeep Jain for their noble work.
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Dishi Jain got relief from Chronic disease through Bhaktamar Mantra Healing and observed visible effects within 3 hours of healing session.
Bhaktamar Vidhan done by the summer school scholars (from Spain, USA, Germany, Mexico, Taiwan, India) of ISJS at Annant World and gained learning of spiritual healing
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Bhaktamar Stotra chanting by researchers from South East Asian countries and they shared their amazing feedback of doing first time spiritual chanting at Annant World.
Bharrathi from Chennai shares her experience of distance healing at Annant World. She was preparing for CA exams after marriage but was not able to do so because of lack of direction. She decided to focus on marriage and conceived a male child after 9years due to distance healing treatment. Later she started preparing for CA exams after failure of 2times and successfully cleared the exams with the healing sessions by Dr. Prriya Jain and Dr. Pradeep Jain.