बागपत : नगर के दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर में आयोजित भक्तामर विधान के दूसरे दिन भक्तामर स्तोत्र का पाठ किया गया और भगवान को अर्घ्य समर्पित किए गए। इस अवसर पर प्रवचन करते हुए जैन मुनि विनिश्चय सागर महाराज ने कहा, जब भी किसी पर कोई संकट आता है तो ऐसी स्थिति में भक्तामर स्तोत्र ही एक मात्र उपाय है।
रविवार को विधान के दूसरे दिन का शुभारंभ नित्य नियम की पूजा और भगवान के अभिषेक के साथ हुआ। इसके बाद जैन संतों के सानिध्य और विधानाचार्य प. दीपक जैन के निर्देशन में भक्तामर विधान का आयोजन किया गया। विधि विधान व मंत्रों के साथ भगवान को 48 अर्घ्य समर्पित किए गए। विधान के बीच में श्रद्घालुओं ने संगीत की धुनों पर नृत्य कर भक्ति भावना का परिचय दिया। आचार्य ने विधान की महत्ता पर प्रकाश डाला। इसके बाद प्रवचन करते हुए जैन मुनि विनिश्चय सागर महाराज ने कहा, जब भी संतों, देश, समाज व परिवार के ऊपर कोई संकट आता है तो ऐसी स्थिति में शांत स्वभाव से भक्तामर विधान ही एकमात्र उपाय होता है। श्रद्धा भाव से किया गया भक्तामर स्तोत्र सुख शांति प्रदान करता है। जीवन की जटिलताओं को सहज बनाता है। पापों से मुक्त कराकर पुण्य मार्ग की ओर अग्रसर करता है। यदि किसी के जीवन में कोई संकट है तो भक्तामर स्तोत्र चमत्कार दे सकता है। उन्होंने जीवन में नेक कार्य करने व पुण्य मार्ग पर चलने का आह्वान किया। इस अवसर पर जैन समाज के प्रधान अनिल जैन, पूर्व प्रधान अजेश जैन, जिनेश जैन, अंकुश जैन, ललित जैन, मनोज जैन आदि अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे।